SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २०६ ) प्रश्न १८६ - मेरे बाल बच्चे हैं - इस वाक्य पर निश्चयका स्पष्टीकरण करो ? प-व्यवहार उत्तर- ( प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो । ) प्रश्न १८७ - मेरी दुकान है - इस वाक्य पर निश्चय व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर- ( प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो । ) प्रश्न १८८ - मानतुंग आचार्य ने भक्तामर स्त्रोत से ताले तोड़ेइस वाक्य पर निश्चय व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर- ( प्रश्न १७२ मे १८१ तक के अनुसार उत्तर दो ।) प्रश्न १८६ - धर्म द्रव्य ने मुझे चलाया - इस वाक्य पर निश्चयव्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर - ( प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो । ) प्रश्न १६० -- सीता के ब्रह्मचर्य से अग्नि पानी हो गई - इस वाक्य पर निश्चय - व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर - ( प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो ।) १६१ - मुझे भगवान शक्तिनाथ शान्ति देते हैं- इस वाक्य पर निश्चय व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर— (प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो ।) प्रश्न १६२ -- मुझे रोटी खाने से शान्ति मिलती है - इस वाक्य पर निश्चय व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर- (प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो ।) प्रश्न १६३ - काल द्रव्य मुझे परिणमन करता है - इस वाक्य पर निश्चय व्यवहार का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर- ( प्रश्न १७२ से १८१ तक के अनुसार उत्तर दो ।) (E) कारण कार्य का सात बोलो द्वारा स्पष्टीकरण प्रश्न - १६४ – 'गुरु कारण, ज्ञान हुआ कार्य' इस पर निश्चयव्यवहार का स्पष्टीकरण करो ?
SR No.010121
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy