________________
( १७६ ) मानते हैं । आप हमें झूठा पयो कहते हो-इस वाक्य को मुनिपने पर लगाकर समझाइये?
उत्तर-(१)तीन चौकडी कपाय के अभावपूर्वक सकलचारियल्प गदि को पर्याय मे निश्चय मुनिपना कहा है। (२) चारित्रादि अनन्त गणो मे अभिन्न तथा द्रव्य-कर्म-नोकर्म-भावकम से भिन्न-यह द्रव्य अपेक्षा मुनिपना कहा है। [अ] तू उभयाभासी ससारी मिथ्यावृष्टि है । तुझे वर्तमान पर्याय मे सकलचारित्रस्प शुद्धि प्रगट नही है और द्रव्य अपेक्षा मुनिपना तू मानता नहीं है। इसलिए ससारी को सकलचारित्ररूप शुन मुनिपना मानना-ऐसा भ्रमरुप अर्थ शुद्ध का नहीं जानना। [आ] २८ महाव्रतादि मुनिपना है नहीं परन्तु जिसको अपनी आत्मा के आश्रय से पर्याय मे सकलचारित्ररूप मुनिपना प्रगटा है उस जीव के २८ महावनादि को निमित्तादिक की अपेक्षा उपचार से मुनिपना कहा है। परन्तु तुझे पर्याय मे सकल-चारित्ररूप मुनिपना प्रगटा नहीं है। अत: तेरे २८ महावतादि के भावो पर उपचार भी सम्भव नहीं है। इसलिए तेरा माना हुआ निश्चय-व्यवहार मुनिपना सब झूठा है।
प्रश्न ८७-श्रावफपने पर प्रश्नोत्तर ८६ के अनुसार प्रश्न व उत्तर दो?
प्रश्न ८८-सम्यग्दर्शन पर प्रश्नोत्तर ८६ के अनुसार प्रश्न व उत्तर दो?
प्रश्न ८९-ईर्यासमिति पर प्रश्नोत्तर ८६ के अनुसार प्रश्न व
उत्तर दो?
प्रश्न ६०-वचनगुप्ति पर प्रश्नोत्तर ८६ के अनुसार प्रश्न व उत्तर दो?
प्रश्न ६१-क्ष धापरिषहजय पर प्रश्नोत्तर ८६ के अनसार प्रश्न व उत्तर दो?