SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७० ) प्रश्नं ५७-क्या निश्चय श्रावकपना और व्यवहार श्रावकपना दोनो उपादेय हैं ? उत्तर-प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ५८-क्या निश्चय मुनिपना और व्यवहार मुनिपना दोनो उपादेय हैं ? उत्तर-प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ५६-क्या निश्चय मनोगप्ति और व्यवहार मनोगप्ति दोनो उपादेय हैं ? उत्तर--प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ६०-या निश्चय भाषा समिति और व्यवहार भाषा समिति दोनो उपादेय हैं ? उत्तर--प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ६१-पया निश्चय ब्रह्मचर्य और व्यवहार ब्रह्मचर्य दोनो उपादेय हैं ? उत्तर-प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ६२-क्या निश्चय तषापरिषहजय और व्यवहार तृषापरिपहजय दोनो उपादेय हैं ? उत्तर--प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो।। प्रश्न ६३–पया निश्चय अशरण भावना और व्यवहार अशरण भावना दोनो उपादेय हैं ? उत्तर-प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ६४-क्या निश्चय चारित्र और व्यवहार चारित्र दोनो उपादेय हैं ? उत्तर-प्रश्न ५६ के अनुसार उत्तर दो। (४) "उभयाभासी की खोटी मान्यता का स्पष्टीकरण" प्रश्न ६५-(१) तथा तू ऐसा मानता है कि सिद्ध समान शुद्ध आत्मा का अनुभवन तो सिश्चय और व्रत-शील-संयमादिरूप प्रवृत्ति
SR No.010121
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages317
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy