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सात हा
प्रश्न १८४-नित्य पर सम्यक् एकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर-द्रव्य द्रव्याथिकनय की अपेक्षा नित्य ही है वह सम्यक एकान्त है।
प्रश्न १८५-अनित्य पर सम्यक् एकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर-द्रव्य पर्यायथिकनय की अपेक्षा अनित्य ही है यह सम्यक एकान्त है।
प्रश्न १८६-निरय पर मिथ्या एकान्त किस प्रकार लगता है ? उत्तर-द्रव्य सर्वथा नित्य ही है यह मिथ्या एकान्त है। प्रश्न १८७-अनित्य पर मिथ्या एकान्त किस प्रकार लगता है ? उत्तर-द्रव्य सर्वथा अनित्य ही है यह मिथ्या एकान्त है ।
प्रश्न १८८-प्रत्येक द्रव्य नित्य-अनित्यादि अनेक धर्म स्वरूप है, ऐसा किसने बताया है ?
उत्तर-जिन, जिनवर और जिनवरवपभो ने बताया है।
प्रश्न १८९--जिन-जिनवर और जिनवरवपभो ने प्रत्येक द्रव्य को नित्य-अनित्यादि अनेक धर्म स्वरूप बताया है, इसको जानने-मानने से ज्ञानियो को क्या लाभ होता है ? ।
उत्तर-(१) प्रत्येक द्रव्य नित्य-अनित्यादि धर्म स्वरूप है-ऐसा जानने वाले श्रुतज्ञानी को सम्पूर्ण द्रव्यो का ज्ञान केवली के समान हो जाता है मात्र प्रत्यक्ष-परोक्ष का अन्तर रहता है। (२) ज्ञानी साधक अपने नित्य धर्म स्वरूप अपनी आत्मा मे विशेप एकाग्रता करके केवलज्ञान की प्राप्ति कर लेता है।
प्रश्न १६०-प्रत्येक द्रव्य नित्य-अनित्यादि अनेक धर्म स्वरूप है इसको सुनकर सम्यक्त्व के सन्मुख मिथ्यादृष्टि क्या जानता है और क्या करता है ?
उत्तर-अपने मानसिक ज्ञान मे प्रत्येक द्रव्य नित्य-अनित्यादि अनेक धर्म स्वरूप है ऐसा निर्णय करके अपने नित्य धर्म स्वरूप आत्मा