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( ५६ ) उत्तर–अनेकान्त मार्ग भी सम्यक एकान्त ऐसे निजपद की प्राप्ति कराने के सिवाय अन्य किसी भी हेतु से उपकारी नही है ।
प्रश्न १७८नित्य-अनित्य को अनेकान्त की परिभाषा में लगाओ?
उत्तर-प्रत्येक वस्तु मे वस्तुपने की सिद्धि करने वाली नित्यअनित्य आदि परस्पर विरुद्ध दो शक्तियो का एक ही साथ प्रकाशित होना उसे अनेकान्त कहते हैं।
प्रश्न १७६-नित्य-अनित्य धर्म में विरोध होने पर भी स्याद्वाद. अनेकान्त इस विरोध को कैसे मिटाता है ?
उत्तर-क्या द्रव्य नित्य है ? उत्तर-हाँ है। क्या द्रव्य अनित्य है ? उत्तर-हाँ है । देखो-दोनो प्रश्नो के उत्तर में "हाँ है" विरोध सा लगता है। परन्तु द्रव्य द्रव्याथिकनय की अपेक्षा नित्य है और पर्यायाथिकनय को अपेक्षा अनित्य है। ऐसा स्याद्वाद-अनेकान्त बतला कर नित्य-अनित्य के परस्पर विरोध को मिटाकर नित्य-अनित्य धर्म को प्रकाशित करता है।
प्रश्न १८०-नित्य पर सच्चा अनेकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर-द्रव्य द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा नित्य ही है अनित्य नहीं है यह सच्चा अनेकान्त है।
प्रश्न १८१-अनित्य पर सच्चा अनेकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर-द्रव्य पर्यायाथिकनय की अपेक्षा अनित्य ही है नित्य नही है यह सच्चा अनेकान्त है।
प्रश्न १८२-नित्य पर मिथ्या अनेकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर--द्रव्य द्रव्याथिकनय की अपेक्षा नित्य भी है और अनित्य भी है यह मिथ्या अनेकान्त है।
प्रश्न १८३-अनित्य पर मिथ्या अनेकान्त किस प्रकार लगता है ?
उत्तर-द्रव्य पर्यायाथिकनय की अपेक्षा अनित्य भी है और नित्य भी है यह मिथ्या अनेकान्त है।