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उत्तर - क्षेत्र से नास्ति की दृष्टि गौण करके सामान्य क्षेत्र के अस्ति पर दृष्टि करे तो तत्काल सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति हो - यह क्षेत्र से 'अस्ति - नास्ति' जानने का लाभ है ।
प्रश्न ८६ - ' काल से' श्रस्ति नास्ति क्या है ?
उत्तर - वस्तु स्वभाव से ही काल - कालाश रूप है । काल से देखना सामान्यदृष्टि और कालाश दृष्टि से देखना विशेष दृष्टि है । इस प्रकार सामान्यदृष्टि काल से अस्ति है और विशेषदृष्टि काल से नास्ति है ।
प्रश्न ६० - 'काल से' अस्ति नास्ति जानने से क्या लाभ है ? उत्तर - विशेषदृष्टि कालाश को गौण करके, सामान्यदृष्टि काल पर दृष्टि करे, तो तत्काल सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति हो, यह काल से अस्ति नास्ति जानने का लाभ हुआ ।
प्रश्न ६१ - 'भाव से' अस्ति नास्ति क्या है ?
उत्तर - वस्तु स्वभाव से ही भाव-भावाश रूप है । भाव की दृष्टि से देखना सामान्यदृष्टि और भावाश की दृष्टि से देखना विशेषदृष्टि है । इस प्रकार भाव से सामान्यदृष्टि भाव से अस्ति है और भावाग विशेष दृष्टि भाव से नास्ति है ।
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प्रश्न ६२ - 'भाव से ' अस्ति नास्ति जानने का क्या फल है। भाव से नास्ति की दृष्टि को गौण करके, सामान्य अस्ति की ओर दृष्टि करे, तो तत्काल सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति हो, यह भाव अस्ति नास्ति जानने का फल है ।
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प्रश्न ६३ - वस्तु अपने द्रव्य-क्षेत्र - काल-भाव से है और पर द्रव्यक्षेत्र - काल-भाव से नहीं है, इस बात का सार क्या है
उत्तर – वस्तु सत् सामान्य की दृष्टि से द्रव्य क्षेत्र - काल-भाव से हर प्रकार अखण्ड है । और वही वस्तु द्रव्य-क्षेत्र - काल-भाव की अपेक्षा अशो मे विभाजित हो जाती है इसलिए खडरूप है । वस्तु के दोनो रूप हैं । वस्तु सारी की सारी जिस रूप मे देखना हो उसे मुख्य और दूसरी को गौण कहते है । वस्तु के ( आत्मा के, क्योकि तात्पर्य हमें