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( ४० ) प्रश्न ८२-११अंग : पूर्व का पाठी द्रव्यलिंगी मुनि भी क्या अन्ति-नास्ति का भेद विज्ञानी नहीं कहा जा सकता है ?
उत्तर-विल्कुल नही कहा जा सकता, क्योकि अपना अनुभव होने पर ही भेद विज्ञानी नाम पाता है।
प्रश्न ८३-.-'अस्ति' में कोन आया ?
उत्तर-अपना परम पारिणामिक भाव ज्ञायक स्वभाव 'अस्ति में आया। वह भी अस्ति मे कब आया ? जव अपने अभेद के आश्रय से निर्विकल्पता हुई, तव।
प्रश्न ८४-मोटे स्प से 'नास्ति' मे कौन-कौन आया?
उत्तर-(१) अत्यन्त भिन्न पर पदार्थ। (२) आंख-नाक-कान स्प जीदारिक्शरीर। (२) तजस-कार्माणशरीर। (४) भाषा और मन (५) गुभाशुभ भाव (६) अपूर्ण-पूर्ण शुद्ध पर्यायो का पक्ष । (७) भेद नय का पक्ष । (८) अभेद नय का पक्ष । (९) भेदाभेद नय का पक्ष ।
प्रश्न ८५-द्रव्य से अस्ति-नास्ति क्या है ?
उत्तर-वस्तु स्वभाव से ही सामान्य-विशेषरूप है। उसे सामान्यरूप से देखना, अस्ति है। भेदरूप, विशेषत्प, देसना, नास्तिस्प है। प्रदेश दोनो के एक ही है।
प्रश्न ८६-द्रव्य से अस्ति-नान्ति जानने क्या लाभ है ?
उत्तर-विशेप को गीण करके अपने सामान्य अस्लि की ओर दृष्टि करे तो तत्काल नम्वन्दनादि की प्राप्ति हो-यह 'अस्ति-नास्ति' जानने में लान हुआ।
प्रश्न ८७~क्षेत्र से 'यस्ति-नास्ति क्या है ?
उत्तर-वन्तु स्वभाव से देश-देशाशस्प है। देश दृष्टि में देखना नामान्य दृष्टि है उसने वस्तु में भेद नहीं दियाता है। देगाराष्टि से दना विणेषदप्टि है। इस प्रकार गामान्यदप्टि क्षेत्र में अग्नि और विगेपष्टिक्षेन से नास्ति है।
प्रश्न :--'क्षेत्र से' अस्ति-नास्ति जानने से क्या लाभ है ?