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( २६ ) गुण के सयोग से वस्तु है। (४) जगत का कोई कर्ता-हर्ता तथा नियता है । (५) दया-दान महाव्रतादि शुभराग से मोक्ष होना बतलाये । (६) निमित्त से उपादान मे कार्य होता है। (७) शुभभाव मोक्षमार्ग है आदि सर्वथा एकान्त विरोध वस्तु का नाश करने वाला है ऐसा छहढाला मे से बताया है।
प्रश्न ३०~अस्ति-नास्ति आदि विरोध वस्तु को सिद्ध करने वाला किस प्रकार है ?
उत्तर-नय विवक्षा से वस्तु मे अनेक स्वभाव है और उनमे परस्पर विरोध है । जैसे-अस्ति है, वह नास्ति का प्रतिपक्षीपना है, परन्तु जव स्याद्वाद अनेकान्त से स्थापन करे तो सर्व विरोध दूर हो जाता है।
प्रश्न ३१-नित्य-अनित्य विरोध वस्तु को कैसे सिद्ध करता है?
उत्तर--क्या वस्तु नित्य है ? उत्तर हाँ। क्या वस्तु अनित्य भी है ? उत्तर हाँ। देखो, दोनो प्रश्नों के उत्तर मे 'हाँ' है। विरोध लगता है। परन्तु वस्तु द्रव्य-गुण की अपेक्षा नित्य है और पर्याय की अपेक्षा अनित्य है ऐसा स्याहाद-अनेकान्त बतलाकर वस्तु को सिद्ध करता है।
प्रश्न ३२-तत्-अतत् विरोध वस्तु को कैसे सिद्ध करता है?
उत्तर-जो (वस्तु) तत् है वही अतत् है । आत्मा स्वरूप से (ज्ञान रूप से) तत् है, वही ज्ञेयरूप से अतत् है । स्याद्वाद अनेकान्त वस्तु को तत-अतत स्वभाव वाली बतलाकर इनके विरोध को मेटकर वस्तु को सिद्ध करता है।
प्रश्न ३३-एक-अनेक का विरोध वस्तु को कैसे सिद्ध करता है ?
उत्तर-एक नय अखण्ड वस्तु की स्थापना करके द्रव्य-गुण-पर्याय के भेद को इन्कार करता है किन्तु अनेक नय द्रव्य-गुण-पर्याय का भिन्न-भिन्न लक्षण बतलाकर वस्तु को भेदरूप स्थापित करता है। इस प्रकार इनमे विरोध दिखते हुए भी स्याद्वाद-अनेकान्त वस्तु को