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( २५ ) जिनेन्द्र भगवान को वाणी से कथित् सर्व पदार्थो का द्रव्य-गुण पर्याय स्वरूप ही यथार्थ है यह पारमेश्वरी व्यवस्था है। [प्रवचनसार गा० १३] यह सब महामत्र हैं।
प्रश्न २७-विरोध कितने प्रकार का है ?
उत्तर-दो प्रकार का है। (१) एक विरोध-बिल्लो-चूहे की तरह, नेवला-साँप की तरह, अन्धकार प्रकाश की तरह, सम्यक्त्व के समय ही मिथ्यात्व का सद्भाव मानना आदि विरोध वस्तु को नाश करने वाला है। (२) दूसरा विरोध-अस्ति-नास्ति आदि वस्तु को सिद्ध करने वाला है।
प्रश्न २८-बिल्ली-चूहे की तरह विरोध वस्तु का नाश करने वाला कैसे है ?
उत्तर-वस्तु अनेकान्त रूप है, परन्तु जो वस्तु को सर्वथा एकरूप ही मानते है वह विरोध वस्तु का नाश करने वाला है। जैसे—कोई वस्तु को सर्वथा सामान्यरूप ही मानता है। कोई वस्तु को सर्वथा विशेष रूप ही मानता है। कोई वस्तु को सर्वथा असत ही मानता है। कोई वस्तु को सर्वथा एकरूप मानकर द्रव्य-गुण-पर्याय के भेदो को नाश करता है । कोई वस्तु को सर्वथा भेदरूप ही मानकर स्वत सिद्ध अखण्ड वस्तु को खण्ड-खण्ड ही मानता है। ऐसी मान्यता बिल्लीचूहे की तरह का विरोध वस्तु को नाश करने वाला है।
प्रश्न २६-क्या कहीं छहढाला मे वस्तु का नाश करने वाला विरोध बताया है ?
उत्तरएकान्तवाद-दूषित समस्त, विषयादिक पोषक अप्रशस्त कपिलादि-रचित श्रुत को अभ्यास, सो है कुबोध बहुदेनत्रास।
(१) जो शास्त्र जगत मे सर्वथा नित्य, एक, अद्वैत और सर्वच्यापक ब्रह्म मात्र वस्तु है, अन्य कोई पदार्थ नहीं है। (२) वस्तु को सर्वथा क्षणिक-अनित्य बतलाये । (३) गुण-गुणी सर्वथा भिन्न है किसी