________________ ( 202 ) प्रश्न ८६-तत् अतत् युगल का दूसरा नाम क्या है ? उत्तर-तत् अतत् को भाव अभाव युगल भी कहते हैं। सदृश विसदृश युगल भी कहते है / सत् असत् युगल भी कहते हैं। प्रश्न ६०-तत् धर्म का क्या लाभ है ? उत्तर-इससे तत्त्व की सिद्धि होती है। (314, 331) प्रश्न ६१-अतत् धर्म से क्या लाभ है ? उत्तर-इससे क्रिया, फल, कारक, साधन, साध्य, कारण, कार्य आदि भावो की सिद्धि होती है। (314, 331) प्रश्न ६२-तत् अतत् युगल पर नय प्रमाण लगाकर दिखलाओ। उत्तरवस्तु एक समय मे तत् अतत दोनो भावो से गुथी हुई है। (1) सारी की सारी वस्तु को वही की वही है। इस दृष्टि से देखना तत् दृष्टि है। (2) सारी की सारी वस्तु समय समय मे नई नई उत्पन्न हो रही है इस दृष्टि से देखना अतत् दृष्टि है। (3) जो वही की वही है वह ही नई नई उत्पन्न हो रही है इस प्रकार दोनो धर्मों से परस्पर सापेक्ष देखना उभय दृष्टि या प्रमाण दृष्टि है तथा (4) दोनो रूप नही देखना अर्थात् न वही की वही है-न नई नई है किन्तु अखण्ड है इस प्रकार देखना अनुभय दृष्टि या शुद्ध द्रव्याथिक दृष्टि ' (333, 334, 734 से 737 तक) तत् दृष्टि है। इस वस्तु को वही कात दोनो भावों से, नित्य अनित्य युगल (3) प्रश्न ६३–नित्य अनित्य युगल का रहस्य बताओ? उत्तर- वस्तु जैसे स्वभाव से स्वत सिद्ध है वैसे वह स्वभाव से परिणमनशील भी है। स्वत सिद्ध स्वभाव के कारण उसमे नित्यपना (वस्तुपना) है और परिणमन स्वभाव के कारण उसमे अनित्यपना (पर्यायपना-अवस्थापना) है। दोनो स्वभाव वस्तु मे एक समय में (338)