________________ ( 201 ) दृष्टि है। वह अनुभय नय या शुद्ध (अखण्ड) द्रव्याथिक नय का पक्ष (758) प्रश्न ८३--पर्यायाथिक नय के नामान्तर बताओ? उत्तर-पर्याय दृष्टि, व्यवहारदृष्टि, विशेपदृष्टि, भेददृष्टि, खण्डदृष्टि, अशदृष्टि, अशुद्धदृष्टि, म्लेच्छदृष्टि / प्रश्न ८४-उभयदृष्टि के नामान्तर बताओ? उत्तर-प्रमाणदृष्टि, उभयदृष्टि, अविरुद्ध दृष्टि, मैत्रीभाव दृष्टि, सापेक्षदष्टि / प्रश्न ८५–अनुभय दृष्टि के नामान्तर बताओ? उत्तर-अनुमय दृष्टि, अनिर्वचनीय दृष्टि, अवक्तव्य दृष्टि, निश्चय दृष्टि, भेद निषेधकदृष्टि, व्यवहार निषेधक दृष्टि, नेतिदृष्टि, शुद्धदृष्टि, द्रव्यदृष्टि वा द्रव्याथिक दृष्टि, शुद्ध द्रव्यदृष्टि, निर्विकल्प दृष्टि, विकल्पातीत दृष्टि, सामान्य दृष्टि, अभेददृष्टि, अखण्डदृष्टि आदि / (312) 'तत्-अतत् युगल' (2) प्रश्न ८६-तत्-अतत् मे किस बात का विचार किया जाता है ? उत्तर-नित्य अनित्य अधिकार मे बतलाये हुए परिणमन स्वभाव के कारण वस्तु मे जो समय समय का परिणाम उत्पन्न होता है वह परिणाम सदृश है या विसदृश है या सदृशासदृश है। इसका विचार तत् अतत् मे किया जाता है। प्रश्न ८७-तत् किसे कहते हैं ? उत्तर-परिणमन करती हुई वस्तु वही की वही है। दूसरी नहीं है। इसको तत्-भाव कहते हैं। (310, 764) प्रश्न १८-अतत् किसे कहते हैं ? उत्तर-परिणमन करती हुई वस्तु समय समय मे नई नई उत्पन्न हो रही है। वह को वह नही है इसको अतत्-भाव कहते हैं। इस दृष्टि से प्रत्येक समय का सत ही भिन्न भिन्न रूप है। (310, 765)