________________ ( 203 ) प्रश्न ९४-दोनो स्वभावों को एक समय में एक ही पदार्थ मे देखने के दृष्टान्त बताओ? उत्तर-(१) जीव और उसमे होने वाली मनुष्य पर्याय (2) दीप और उसमे होने वाला प्रकाश (3) जल और उसमे होने वाली कल्लोले (4) मिट्टी और उसमे होने वाला घट / जगत् का प्रत्येक पदार्थ इसी रूप है। (411, 412, 413) प्रश्न ६५-नित्य किसे कहते हैं ? उत्तर-पर्याय पर दृष्टि न देकर जब द्रव्य दृष्टि से केवल अविनाशी-त्रिकाली स्वभाव देखा जाता है तो वस्तु नित्य (अवस्थित) प्रतीत होती है। (336, 761) प्रश्न ६६-नित्य स्वभाव की सिद्धि कैसे होती है ? उत्तर--'यह वही है' इस प्रत्यभिज्ञान से इसकी सिद्धि होती है। (414) प्रश्न ६७-अनित्य किसको कहते हैं ? उत्तर-त्रिकाली स्वत सिद्ध स्वभाव पर दृष्टि न देकर जब पर्याय से केवल क्षणिक अवस्था देखी जाती है तो वस्तु अनित्य (अनवस्थित) प्रतीत होती है। (340, 760) प्रश्न ९८-अनित्य की सिद्धि कैसे होती है ? / उत्तर-'यह वह नही है' इस अनुभूति से इसकी सिद्धि होती है। (414) प्रश्न 8E-उभय किसको कहते हैं ? उत्तर-जब एक साथ स्वत सिद्ध स्वभाव और उसके परिणाम दोनो पर दृष्टि होती है तो वस्तु उभय रूप दीखती है यह प्रमाण दृष्टि है / जैसे जो जीव है वही तो यह मनुष्य है / जो मिट्टी है वही तो घडा है। जो दीप है वही तो प्रकाश है / जो जल है वहीं तो कल्लोले है। (415, 763) प्रश्न १००-अनुभय फिसको कहते हैं ?