________________ ( 160 ) प्रश्न ५०~~-परमात्म प्रकाश १२वीं गाथा की टीका में क्या बताया है ? उत्तर-स्व सम्वेदन ज्ञान प्रथम अवस्था मे चौथे-पाँचवे गुणस्थान वाले गृहस्थ को भी होता है। प्रश्न ५१-परमात्म प्रकाश २३वें श्लोक में क्या बताया है ? उत्तर-केवली की दिव्यध्वनि से, महामुनियो के वचनो से तथा इन्द्रिय मन से भी शुद्वात्मा जाना नही जाता है। प्रश्न ५२-परमात्म प्रकाश 34 श्लोक से क्या बताया है ? उत्तर---इस देह मे रहता हुआ भी देह को स्पर्श नही करता, उसी को तू परमात्मा जान। प्रश्न ५३-परमात्म प्रकाश 68 श्लोक मे क्या बताया है ? उत्तर---प्रत्येक भगवान आत्मा उत्पाद-व्यय रहित बध-मोक्ष की पर्याय से रहित और बध-मोक्ष के कारण रहित है। शुद्ध निश्चयनय से नित्यानद ध्र व आत्मा है। वह भगवान आत्मा उत्पन्न नही होता अर्थात उत्पाद की पर्याय मे नही आता, मरता नहीं अर्थात् व्यय मे भी नहीं आता। एकेन्द्रिय की पर्याय हो या सिद्ध की पर्याय हो ध्रुव भगवान तो सदा ज्ञानानन्द रूप ही रहता है। प्रश्न ५४-परमात्म प्रकाश अध्याय दो गाथा 63 में क्या बताया उत्तर-यह जीव पाप के उदय से नरकगति और तिर्यंचगति पाता है। पुण्य से देव होता है / पुण्य और पाप दोनो के मेल से मनुष्य गति को पाता है / और पुण्य-पाप दोनो के ही नाश होने से मोक्ष पाता है / ऐसा जानो। प्रश्न 55 - मुमुक्षु को क्या जानना आवश्यक है ? उत्तर-(१) मुझ जीवतत्व का दूसरे द्रव्यो से सर्वथा सम्बन्ध नहीं है। (2) मुझ जीव तत्व से विकार अत्यन्त भिन्न है। (3) मुझ जीव तत्व से निर्मल पर्याय भी भिन्न है क्योकि द्रव्य पर्याय को स्पर्शता नहीं