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( ११५ ) प्रश्न ४२-औदयिक भावो से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-अज्ञान और असिद्धत्व भाव को छोडकर १६ औदयिकभाव तो मोहभाव के अवान्तर भेद है बन्ध साधक है जीव के लिए महा अनिष्टकारक है अनन्त ससार का कारण हैं। वैसे वास्तव मे तो मिथ्यात्व (मोह) ही अनन्त ससार है। परन्तु मोह निमित्त होने से गति आदि को दुख का कारण कहा जाता है। है नही। अज्ञान औदयिक भाव अभावरूप है। इसमे सीधा पुरुषार्थ नहीं चल सकता है किन्तु मोहभावो का अभाव होने पर यह स्वय ही नष्ट हो जाता है। इसलिए एक परम पारिणामिक भाव का आश्रय लेकर मोदयिक भावो का अभाव करके पात्र जीवो को अपने स्वभाविक सिद्धत्वपना पर्याय मे प्रगट कर लेना यह औदयिकभावो के जानने का सार है।
प्रश्न ४३-क्या सर्व औदयिकभाव बध के कारण हैं ?
उत्तर-सर्व औदयिक भाव बध के कारण हैं ऐसा नही समझना चाहिए, मात्र मिथ्यात्व, असयम, कषाय और योग यह चार वन्ध के . कारण है । (धवला पुस्तक ७ पृष्ठ ६)
प्रश्न ४४-क्या कर्म का उदय बंध का कारण है ?
उत्तर-(१) यदि जीव मोह के उदय युक्त हो तो वध होता है, द्रव्यमोह का उदय होने पर भी यदि जीव शुद्धात्मभावना (एकाग्रता) के बल द्वारा मोहभावरूप परिणमित ना हो तो बन्ध नहीं होता । (२) यदि जीव को कर्मोदय के कारण बन्ध होता हो तो ससारी को सर्वदा कर्म का उदय विद्यमान है इसलिए उसे सर्वदा बध ही होगा कभी मोक्ष होगा ही नहीं। (३) इसलिए ऐसा समझना कि कर्म का उदय बन्ध का कारण नही है किन्तु जीव का मोहभावरूप परिणमन ही वध का कारण है। (प्रवचनसार हिन्दी जयसेनाचार्य गा० ४५ की टीका से)
प्रश्न ४५-औदयिक भावों मे जो अज्ञान भाव है और क्षायोपशमिक भावों मे जो अज्ञान भाव है उसमे क्या अन्तर है ? ।
उत्तर-"औदयिक भावो मे जो अज्ञानभाव है वह अभाव रूप है