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( १०० ) तो ज्ञानावरणीय का मन्द रस होने से ज्ञान का उघाड देखने मे आता
प्रश्न १४२-अज्ञानियो को प्रयत्न करने पर भी सम्यग्दर्शन की प्राप्ति क्यो नहीं होती है ?
उत्तर-अज्ञानी का उल्टा प्रयत्न होने से सम्यग्दर्शन की प्राप्ति नही होती है, क्योकि सम्यग्दर्शन आत्मा के आश्रय से श्रद्धा गुण मे से आता है । अज्ञानी ढूंढता है दर्शनमोहनीय के उपशमादि मे और देव-गुरु शास्त्र मे।
प्रश्न १४३'अज्ञानियो को सुख की प्राप्ति क्यो नहीं होती है ?
उत्तर-आत्मा के आश्रय से सुख गुण मे से सुखदशा प्रगट होती है अज्ञानी पांचो इन्द्रियो के विषयो मे से सुख मानता है। इसलिए सुख की प्राप्ति नही होती है।
प्रश्न १४४-अज्ञानियो को सम्यग्दर्शन की प्राप्ति क्यो नहीं होती
- उत्तर-आत्मा के आश्रय से ज्ञानगुण मे से सम्यग्ज्ञान आता है और अज्ञानी देव-गुरु शास्त्र के आश्रय से, ज्ञेयो के आश्रय से, ज्ञानावरणीय के क्षयोपशमादि से मानता है। इसलिए सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। . प्रश्न १४५-अज्ञानी को सम्यक्चारित्र की प्राप्ति क्यो नहीं होती
उत्तर-आत्मा के आश्रय से चारित्रगुण मे से सम्यक्चारित्र की प्राप्ति होती है। अज्ञानी अणव्रतादि, महावतादि के आश्रय से तथा बाहरी क्रियाओ से मानता है इसलिए सम्यक चारित्र की प्राप्ति नही होती है।
प्रश्न १४६-जिसे जानने से मोक्षमार्ग की प्रवृत्ति हो, वैसा अवश्य जानने योग्य-प्रयोजन भूत क्या-क्या है ?
उत्तर--(१) हेय-उपादेय तत्वो की परीक्षा करना । (२) जीवादि