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प्रश्न (७३)-सच्ची श्रावकदशा होने पर कैसा राग होता है ? उत्तर-दो चौकड़ी अभावरूप देश चारित्र दशा होने पर
बारह अणुव्रतादि का विकल्प हेय बुद्धि से होता है, अन्य
प्रकार का विकल्प नहीं होता है। प्रश्न (७४)-मुनि दशा होने पर कैसा राग होता है ? उत्तर - तीन चौकड़ी प्रभावरूप शुद्धि तो निरन्तर वर्तती है
परन्तु छठे गुणस्थान में २८ मूलगुण का विकल्प हेय बुद्धि
से होता है अन्य नहीं, उसका ज्ञान कराया है। प्रश्न (७५)-ज्ञानी को जो भूमिकानुसार राग होता है क्या
ज्ञानी उसे अपना मानता है ? उत्तर-बिल्कुल नहीं; वह तो ज्ञान का ज्ञेय है, हेय है। प्रश्न (७६)-सच्चे देव गुरु शास्त्र का निमित्त मिला ऐसे समय ___में भी भूतार्थ स्वभाव का प्राश्रय ना ले तो क्या होगा ? उत्तर-मोक्षमार्ग प्रकाशक में लिखा है कि "मनुष्यभव
होने पर मोक्षमार्ग में प्रवर्तन ना करे तो किचित् विशुद्धता पाकर फिर तीव्र उदय पाने पर निगोदादि पर्याय को प्राप्त करेगा। कहा है कि "जो विमानवासी हूँ थाय, सम्यग्दर्शन बिन दुःख पाय । तह तें चय थावर तन धरै,
यों परिवर्तन पूरे करे॥ प्रश्न (७७)--प्राप कहते हो कि अनन्त गुणों के अभेद पिण्ड
शायक की एकाग्रता से ही धर्म की शुरुमात, वृद्धि और पूर्णता होती है तो क्या हम पूजा पाठ व्रत नियम आदि ना करें?