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तथा कषाय से स्थिति और अनुभाग का बंध कहा जाता है। प्रश्न ( ३५९ ) -- योग के कम्पन से प्रकृति और प्रदेश का बंध होता है इसमें क्या जानना चाहिए ?
उत्तर -- जीव में योग रुप कम्पन हुआ, वह अपने उपादान स हुआ और प्रकृति प्रदेश अपने उपादान से आया । योगगुण का कम्पन निमित्त है तो प्रकृति प्रदेश नैमित्तिक है, और योग गुण का कम्पन नैमित्तिक है तो प्रदेश, प्रकृति निमित्त है ऐसा सहज ही निमित्त नैमित्तिक सम्बंध है, एक दूसरे के कारण कोई नहीं है ।
प्रश्न (३६० ) -- पात्र जीव क्या जानता है ?
उत्तर- (अ) योग गुण में कम्पन हुआ, इसलिए प्रदेश 'प्रकृति आया, ऐसा नहीं है । (प्रा) प्रकृति, प्रदेश हुआ, तो जीव कम्पन हुआ, ऐसा नहीं है क्योंकि दोनों स्वतंत्र है ।
प्रश्न ( ३६१ ) -- प्रज्ञानी मानता है ?
उत्तर - योग गुण 'में कम्पन होने से प्रकृति प्रदेश प्राता है और प्रकृति, प्रदेश होने से कम्पन होता है प्रज्ञानी ऐसा मानता है यह बुद्धि निगोद का कारण है ।
प्रश्न ( ३६२ | - मिथ्यात्व रागद्वेषादि से स्थिति और अनुभाग होता है इसमें क्या जानना चाहिये ?
उत्तर - (अ) जीव में मिथ्यात्व रागद्व बादिभाव जीव की विभावमर्थ पर्याय है यह जीव के प्रशुद्ध उपादान से है । और कर्म का स्थिति भोर अनुभाग अपने उपादान से है । (आ) जीव के श्रद्धा गुण में विभाव रूप परिणमन अपने उपादान से हैं और दर्शनमोहनीय का उदय अपने उपादान से है । (इ) जीव के चारित्र गुण में विभाव रुप परि