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यह जीव के निश्चय बंघ को जानने का लाभ है ।
प्रश्न ( ३५४ ) - जीव का व्यवहार बंध क्या है ? उत्तर - जीव और द्रव्यकर्म नोकर्म के सम्बंध को जीव का व्यवहार बंध कहा जाता है।
प्रश्न ( ३५५ ) - जीव और द्रव्यकर्म नोकर्म में बंध की परिभाषा कैसे घटती है ?
उत्तर - जीव एक पदार्थ है - द्रव्यकर्म नोकर्म दूसरे पदार्थ हैं मोटे रुप से एक कहने में आते हैं । परन्तु ज्ञानी पृथक पृथक जानते है इसलिए बंध की परिभाषा घटती है ।
प्रश्न ( ३५६ ) - जीव से द्रव्यकर्म, नोकर्म, तो बिल्कुल पृथक है आपने इसे सम्बंध विशेष बंध की परिभाषा में कैसे लगा दिया ?
उत्तर--मोटे रुप से श्रात्मा श्रौर द्रव्यकर्म, नोकर्म रूप शरीर अलग देखने में नही आते हैं, एक दिखते हैं इसलिये बंघ की परिभाषा घटती है ।
प्रश्न ( ३५७ ) - जीव के व्यवहार बंध को जानने से क्या लाभ रहा ?
उत्तर - जीव रागद्वेषादि करता है इसमें द्रव्यकर्म नोकर्म निमित्त होता है भगवान प्रबंधस्वभावी उसमें निमित्त नहीं है इसलिए पात्र जीव प्रबंधस्वभावी की दृष्टि करके लीनता करके सिद्ध दशा प्राप्त कर लेता है जिससे द्रयकर्म, नोकर्म का सम्बंध कभी भी नहीं होता है यह व्यवहार बंध को जानने से लाभ है ।
प्रश्न ( ३५८ ) - जीव और द्रव्यकर्म के व्यवहार बंध को जरा स्पष्ट समझाइये ?
उत्तर - शास्त्रों में योग के कम्पन से प्रकृति और प्रदेश का,