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(१२४) प्रश्न (८)-केवलज्ञान के कारण दिव्यध्वनि होती है' तो गुणों
के कार्य को पर्याय कहते हैं; कब माना, और कब नहीं
माना? उत्तर-भाषावर्गणा से दिव्यध्वनि होती है तो पर्याय
को माना और केवल ज्ञान के कारण दिव्यध्वनि
होती है तो पर्याय को नही माना। प्रश्न (8)-दिव्यध्वनि होने से केवल ज्ञान होता है इसमें गुणों
के कार्य को पर्याय कहते हैं, कब माना, और कब नही
माना? उत्तर--केवल ज्ञान आत्मा के ज्ञान गुण में से होता है तो
पर्याय को माना और दिव्यध्वनि होने से केवल ज्ञान
होता है तो पर्याय को नहीं माना। प्रश्न (१०) चारित्र मोहनीय द्रव्यकर्म के क्षय से यथाख्यात
चारित्र होता है, इसमें ‘गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं',
कब माना, और कग नहीं माना ? उत्तर-यथाख्यातचारित्र आत्मा के चारित्र गुण में से आता
है तो पर्याय को माना और चारित्र मोहनीय द्रव्यकर्म के क्षय से यथाख्यातचारित्र होता है, तो पर्याय को
नहीं माना। प्रश्न (१.)-यथाख्यात चारित्र होने के कारण चारित्रमोहनीय
द्रव्यकर्म का क्षय हुआ, इसमें "गुणों के कार्य को पर्याय
कहते हैं ? कब माना, और कब नहीं माना ? उत्तर-कार्माण वर्गणा में से चारित्र मोहनीय द्रव्यकर्म
का क्षय हुआ तो पर्याय को माना और