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यथाख्यात चारित्र होने के कारण चारित्र मोह
नीय द्रव्यकर्म का क्षय हुआ तो पर्याय को नहीं माना प्रश्न (१२)-बाल बच्चों से सुख मिलता है, "गुणों के कार्य को
पर्याय कहते हैं" कब माना, और कब नहीं माना ? उत्तर (१)सुख प्रात्मा के प्रानन्द गुण में से आता है तो
पर्याय को माना । (२) बाल बच्चों से सुख मिलता है तो पर्याय को नही माना।
प्रश्न (१३,-केवली श्रुत केवली के निकट होने से क्षायिक
सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है, इसमें गुणों के कार्य
पर्याय कहते हैं, कब माना और कब नही माना ? उत्तर – (१) क्षायिक सम्यक्त्व प्रात्मा के श्रद्धा गुण में से प्राता
है तो पर्याय को माना। (२) केवली, श्रुतके वली के निकट होने से क्षायिक सम्यक्त्व की प्राप्ति होती है, तो पर्याय को नहीं
माना। प्रश्न (१४)-कुम्हार ने घड़ा बनाया, इसमे 'गुणों के कार्य को
पर्याय कहते हैं, कब माना, और कब नहीं माना ? उत्तर-घड़ा मिट्टी से बना, तो पर्याय को माना और
कुम्हार ने घड़ा बनाया, तो पर्याय को नहीं माना।
प्रश्न (१५)-घड़ा बनने के कारण कुम्हार को राग माया,