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( ८४ ) कारण चाक, कीली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कधो की तरफ देखना रहा । इतना लाभ हुआ।
प्रश्न ६३--कोई चतुर प्रश्न करता है कि कुम्हार, घडा आदि निमित्तकारण हो तो चाक, कोली, डंडा, हाथ आदि कार्य बने। आप कहते हो चाक कीली, डंडा, हाथ आदि कार्य का निमित्त कारणो से कोई सम्बन्ध नहीं है तो चाक, कोली, उंडा, हाय आदि आहार वर्गणा के स्कंध उपादानकारण और चाक, कीली, डडा, हाथ, आदि कार्य उपादेय। यह आपकी बात झूठी साबित होती है ?
उत्तर-अरे भाई, हमने चाक, कीली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कध को चाक, कीली, डडा, हाथ आदि कार्य का उपादानकारण कहा है। वह तो कुम्हार, घडा आदि निमित्त कारणो से पृथक् करने की अपेक्षा से कहा है। वास्तव मे चाक, कीली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कध भी चाक, कीली, डडा, हाथ आदि कार्य का सच्चा उपादान कारण नही है।
प्रश्न ६४-चाफ, कोली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कघ भी चाक, कीली, डंडा हाथ आदि कार्य का सच्चा उपादान कारण नहीं है। तो यहाँ पर चाक, कोली, डंडा, हाथ आदि कार्य का सच्चा उपादानकारण कौन है ?
उत्तर-चाक, कीली, डडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्वाधो मे अनादिकाल से पर्यायो का प्रवाह चला आ रहा है । मानो दस नम्बर पर चाक, कीली, डडा, हाथ आदि कार्य हुआ। तो उसमे अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण चाक, कीली, डडा, हाथ आदि कार्य का यहां पर सच्चा उपादान कारण है।
प्रश्न ६५-चाक, कोली, डंडा, हाथ आदि आहारवर्गणा के स्कंधो में अनादिकाल से पर्यायो का प्रभाव क्यो चला आ रहा है ?
उत्तर–प्रत्येक द्रव्य-गुण अनादिअनन्त ध्रौव्य रहता हुआ, एक पर्याय का व्यय और दूसरी पर्याय का उत्पाद एक ही समय मे स्वय