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प्रश्न २६ - स्वाश्रितो निश्चयकारक और पराधितो व्यवहारकारक की अपेक्षा किस-किस प्रकार हैं ?
उत्तर- (१) कार्य का कारक उस समय पर्याय की योग्यता स्वाश्रित निश्चयकारक कहा हो, उसकी अपेक्षा अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय को पराश्रित व्यवहारकारक कहा जाता है । (२) कार्य का कारक अनन्तर पूर्वक्षणवर्ती पर्याय को स्वाश्रित निश्चयकारक कहा हो, उसकी अपेक्षा त्रिकाली को पराश्रित व्यवहार कारक कहा जाता है । (३) कार्य का कारक त्रिकाली को स्वाश्रित निश्चयकारक कहा हो, उसकी अपेक्षा निमित्त को पराश्रित व्यवहारकारक कहा जाता है ।
प्रश्न ३० - जिन-जिनवर और जिनवरवृषभो ने चार कारको के विषय में क्या बतलाया है ?
उत्तर - कार्य का कारक उस समय पर्याय की योग्यता ही है । परन्तु जब-जब कार्य होता है वाकी के तीन कारक भी होते हैं क्योकि 'जिसने पूर्व अवस्था प्राप्त की है ऐसा द्रव्य भी जो कि उचित वहिरग साधनो के सान्निध्य के सदभाव मे अनेक प्रकार की बहुत सी अवस्थायें करता है" - ऐसा जानना ।
[ प्रवचनसार गाथा ६५ की टीका से ] प्रश्न ३१ - कोई मात्र कार्य का कारक उस समय पर्याय की योग्यता को ही माने, बाकी कारको का सर्वया निषेध करे तो क्या वह ठीक है ?
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उत्तर- ठीक नही है क्योकि जब कार्य होता है बाकी के तीन कारक होते है ऐसा वस्तु स्वभाव है । उसको न मानने के कारण वह झूठा है ।
प्रश्न ३२ - इन चार कार्य के कारको मे क्या रहस्य है ? उत्तर- (१) कोई अकेले उस समय पर्याय की योग्यता कार्य के कारक को माने किन्तु अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कारक को, त्रिकाली कारक को और निमित्त कारक को न माने वह झूठा है । (२) कोई