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( २५ ) अकेले अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कारक को ही माने किन्तु त्रिकालो कारक, निमित्त कारक और उस समय पर्याय की योग्यता कारक को न माने वह झूठा है। (३) कोई मात्र त्रिकाली कारक को ही माने किन्तु उस समय पर्याय की योग्यता कारक को, अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कारक कोऔर निमित्त कारक को न माने वह झूठा है। (४) कोई अकेले कार्य का कारक निमित्त को ही माने किन्तु त्रिकाली कारक, अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कारक और उस समय पर्याय की योग्यता रूप कारक को न माने वह भी झूठा है, क्योकि जब-जव कार्य होता है वहाँ चारो कारक एक साथ होते है।
प्रश्न ३३-छह कारक द्रव्य हैं, गुण हैं, या पर्याय है ? उत्तर-छह कारक गुण है। प्रश्न ३४-छह कारक गुण हैं तो सामान्य हैं या विशेष हैं ?
उत्तर-छह कारक प्रत्येक द्रव्य मे पाये जाने वाले सामान्य और अनुजीवी गुण है।
प्रश्न ३५-छह कारक गुण हैं यह जिनवाणी मे कहाँ आया है ? उत्तर-श्री समयसार की ४७ शक्तियो मे आया है।
प्रश्न ३६-छह कारको का ज्ञान विद्या बढाने के लिए, लोगो को बताने के लिए, कि हम विद्वान हैं या और किसी कार्य के लिए है ?
उत्तर-(१) जो जीव छह कारको का ज्ञान मान-बडप्पन के लिए करता है वह अनन्त ससार का कारण है (२) वास्तव मे छह कारको के ज्ञान से पर मे करूं-करूँ की और भोक्ता-भोग्य की बुद्धि का अभाव हो जाता है और सम्यग्दर्शन की प्राप्ति होकर क्रमश निर्वाण की ओर गमन हो जाता है (३) पाँच ससार के कारणो का अभाव । (४) पच परावर्तन का अभाव (५) चार गति के अभावरूप पचमगति की प्राप्ति (६) पचम पारिणामिक भाव का महत्व आ जाता है (७) पच परमेष्टियो मे उसकी गिनती होने लगती है।
प्रश्न ३७-पर्याय (कार्य) पर से किसका माप निकालना चाहिए? उत्तर-पर्याय पर से सच्चे कारक का माप निकालना चाहिए।