________________ ( 208 ) कारण का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से राग रूप कार्य हुआ है आत्मा के चारित्र गुण के कारण नही हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना। और आत्मा के चारित्र गुण के कारण राग रूप कार्य हुआ है-ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। ___D. प्रश्न २४-आत्मा का ज्ञान गुण कारण और ज्ञान कार्य। कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना ? उत्तर-अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ज्ञान रूप कार्य हुआ है आत्मा के ज्ञान गुण के कारण नहीं हुआ तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना / और आत्मा के ज्ञान गुण के कारण ज्ञान रूप कार्य हुआ है-ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि का नही माना। 25 A. प्रश्न २५-अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर कारण और बोलना कार्य / कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना? उत्तर-बोलना रूप कार्य उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है, अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण से नही हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना। और अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर से बोलने रुप कार्य हुआ ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि को नहीं माना। ___B. प्रश्न २५-अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर कारण और मुह खुला कार्य। कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना?