________________ ( 202 ) C. प्रश्न १६-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही रागस्प कार्य की उत्पत्ति होती है। क्या यह निरपेक्ष है ? उत्तर-हाँ, रागत्प कार्य स्वय पर की अपेक्षा नहीं रखता है इसलिए निरपेक्ष है और अपनी अपेक्षा रखता है इसलिए सापेक्ष है। पात्र भव्य जीवो को प्रथम निरपेक्ष मिद्धि करनी चाहिए फिर जो कार्य हुआ-उसका अभावस्प कारण कौन है, त्रिकाली कारण कौन है और निमित्त कारण कीन है। इन बातो का ज्ञान करना चाहिए क्योकि प्रत्येक कार्य के समय चारो वाते नियम में होती है। D प्रश्न १६-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही ज्ञानरुप कार्य को उत्पत्ति होती है। क्या यह निरपेक्ष है। उत्तर- हाँ, ज्ञानम्प कार्य स्वय पर की अपेक्षा नही रखता है इसलिये निरपेक्ष है और अपनी अपेक्षा रखता है इसलिये सापेक्ष है। पात्र भव्य जीवो को प्रथम निरपेक्ष सिद्धि करनी चाहिए। फिर जो कार्य हुआ-उसका अभावरूप कारण कीन है, त्रिकाली कारण कौन है और निमित्त कारण कोन है। इन वातो का ज्ञान करना चाहिए, क्योकि प्रत्येक कार्य के समय चारो वाते नियम से होती है। 20 A. प्रश्न २०-बोलनेरूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही हुआ है। ऐसा जानने-मानने से बोलने रूप कार्य के लिए किस-किस कारण पर दृष्टि नहीं जाती है ? उत्तर-(१) आत्मा का ज्ञान, राग, मुंहखुला। (2) भाषा वर्गणा / (3) अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नी नम्बर क्षणिक उपादान कारण। ___B प्रश्न २०-मुंह खुलने रूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही हुआ है। ऐसा जानने-मानने से मुह / खुलनेरूप कार्य के लिए किस-किस कारण पर दृष्टि नहीं जाती है ?