________________ ( 197 ) हैं हो रहे हैं और भविष्य मे होते रहेगे। ऐसा केवली के समान सच्चा ज्ञान हो जाता है। C. प्रश्न १६-राग-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है-इसको जानने-मानने से क्या लाभ हुआ? उत्तर-जैसे राग-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है, वैसे ही विश्व मे जितने भी कार्य है / वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके हैं, हो रहे हैं और भविष्य मे होते रहेगे। ऐसा केवली के समान सच्चा ज्ञान हो जाता है। ____D. प्रश्न १६-जान रूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है-इसको जानने-मानने से क्या लाभ हुआ ? उत्तर-जैसे ज्ञानरूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है, वैसे ही विश्व में जितने भी कार्य हैं। वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके हैं, हो रहे है और भविष्य मे होते रहेगे। ऐसा केवली के समान सच्चा ज्ञान हो जाता है। 17 ___A प्रश्न १७–बोलने रूप कार्य के समान विश्व मे जितने भी कार्य हैं वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके हैं, हो रहे हैं और भविष्य मे होते रहेगे-ऐसा केवली के समान सच्चा ज्ञान होते ही क्या-क्या अपूर्व कार्य देखने में आता है ? उत्तर-बोलने रूप कार्य के समान सब कार्य अपनी-अपनी योग्यता से ही होते है-ऐसा मानते ही (1) अनादिकाल की पर मे करूं-धरूं को खोटी मान्यता का अभाव होना / (2) दृष्टि अपने ज्ञायक स्वभाव पर आना / (3) सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति होकर क्रम से वृद्धि होकर