________________ ( 196 ) से क्या लाभ था ? कह देते कि ज्ञान कार्य-उस समय पर्याय को योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ही होता है ? उत्तर-(१) निमित्त कारणो से पृथक करने की अपेक्षा से आत्मा का ज्ञान गुण त्रिकाली उपादान कारण को वताना आवश्यक था। (2) भूत-भविष्य की पर्यायो से पृथक करने की अपेक्षा से और अभाव रूप कारण का ज्ञान कराने के लिए नौ नम्बर अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण को बताना आवश्यक था। (3) अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय नी नम्बर क्षणिक उपादान कारण से पृथक करने की अपेक्षा से और सच्चे कारण-कार्य का ज्ञान कराने के लिए ज्ञानउस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण को बताना आवश्यक था। इसलिए तीनो कारणो का सच्चा ज्ञान कराने के लिए जिनवाणी मे इतना लम्बा-लम्वा करके समझाया है। 16 A. प्रश्न १६-बोलने रूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है-इसको जानने-मानने से क्या लाभ हुआ? उत्तर-जैसे-बोलने रूप कार्य-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है, वैसे ही विश्व मे जितने भी कार्य है। वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके है, हो रहे है और भविष्य मे होते रहेगे। ऐसा केवली के समान सच्चा ज्ञान हो जाता है। ___B. प्रश्न १६-मुह खुला-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है-इसको जानने-मानने से क्या लाभ हुआ? उत्तर- जैसे मुह खुला-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हुआ है, वैसे ही विश्व मे जितने भी कार्य हैं / वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके क्षणिक उस समय और भवि