________________ ( 184 ) उत्तर-अरे भाई हमने भाषा वर्गणा को बोलने रूप कार्य का उपादान कारण कहा है। वह तो आत्मा, मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से पृथक करने की अपेक्षा से कहा है। वास्तव मे भाषा वर्गणा भी बोलने रूप कार्य का सच्चा उपादान कारण नही है। ___B. प्रश्न ७-कोई चतुर फिर प्रश्न करता है कि आप कहते हो मुंह खुलने रूप कार्य का, आत्मा, बोलने आदि निमित्त कारणो से सर्वथा सम्बन्ध नहीं है तो विश्व मे आहार वर्गणा तो पहले से ही भरी पड़ी है। तब उन सब मे मुंह खुलने रूप कार्य क्यों नहीं होता है ? अतः आपका ऐसा कहना कि मुंह रूप आहार वर्गणा उपादान कारण ओर मुंह खुला उपादेय-यह आपकी बात झूठी सावित होती है। उत्तर--अरे भाई हमने मुह रूप आहार वर्गणा को मुंह खुलने रूप कार्य का उपादान कारण कहा है। वह तो आत्मा, वोलना आदि निमित्त कारणो से पृथक करने की अपेक्षा से कहा है। वास्तव मे मुंह रूप आहार वर्गणा भी मुंह खुलने रूप कार्य का सच्चा उपादान कारण नहीं है। ____C. प्रश्न ७-कोई चतुर फिर प्रश्न करता है कि आप कहते हो राग-रूप कार्य का, बोलना, मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से सर्वथा सम्बन्ध नहीं है तो चारित्र गुण तो सिद्ध भगवान, अहंत भगवान आदि मे भी है / उनमे राग उत्पन्न क्यो नहीं होता है ? अत. आपको ऐसा कहना कि आत्मा का चारित्र गुण उपादान कारण और रागल्प कार्य उपादेय-यह आपकी बात झूठी साबित होती है ? उत्तर-अरे भाई हमने आत्मा के चारित्र गुण को राग रूप कार्य का उपादान कारण कहा है, वह तो बोलना मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से पृथक करने की अपेक्षा से कहा है। वास्तव मे चारित्र गुण भी रागरूप कार्य का सच्चा उपादान कारण नहीं है। D प्रश्न ७-कोई चतुर फिर प्रश्न करता है कि आप कहते हो