________________ ( 183 ) उत्तर-(१) आत्मा, वोलना आदि निमित्त कारणो से मुंह खुला -ऐसी खोटी मान्यता का अभाव हो जाता है। (2) मुंह खुलने रूप आहार वर्गणा को छोडकर दूसरी वर्गणाओ से दृष्टि हट जाती है। (3) अब यहाँ पर मुंह खुलने रूप कार्य के लिए एक मात्र मुह खुनने रूप आहार वर्गणा की तरफ ही देखना रहा। C प्रश्न 6 -आत्मा का चारित्र गुण त्रिकाली उपादान फारम और राग उपादेय / इसको समझने से क्या-क्या लाभ हुआ? उत्तर-(१) बोलना, मुंह खुलना आदि निमित्त कारणो से राग हुआ-ऐसी खोटी मान्यता का अभाव हो जाता है। (2) आत्मा मे अनन्त गुण हैं। उनमे से चारित्र गुण को छोडकर बाकी गुणो से दृष्टि हट जाती है। (3) अब यहाँ पर राग के लिए एक मात्र आत्मा के चारित्र गुण की तरफ ही देखना रहा। D. प्रश्न ६-आत्मा का ज्ञान गुण त्रिकाली उपादान कारण और ज्ञान उपादेय। इसको समझने से क्या-क्या लाभ हुआ? उत्तर-(१) राग, बोलना, मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से ज्ञान हुआ। ऐसी खोटी मान्यता का अभाव हो जाता है / (2) आत्मा मे अनन्त गुण है। उनमे से एक ज्ञान गुण को छोडकर बाकी दूसरे गुणो से दृष्टि हट जाती है। (3) अब यहाँ पर ज्ञान के लिए एकमात्र आत्मा के ज्ञान गुण की तरफ ही देखना रहा। 7 A. प्रश्न ७-कोई चतुर फिर प्रश्न करता है कि आप कहते हो बोलने रूप कार्य का आत्मा, मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से सर्वथा सम्बन्ध नहीं है तो विश्व मे भाषावर्गणा तो भरी पड़ी है, अब बोलने रूप कार्य क्यो नहीं होता है ? अत आपका ऐसा कहना कि भाषा वर्गणा उपादान कारण और बोलने रूप कार्य उपादेय-यह बात झूठी साबित होती है।