________________ ( 174 ) प्रदेशो का चलन, (2) उपयोग अर्थात् ज्ञान का कपायो के साथ उपयुक्त होना-जुडना। प्रश्न ३१-योग और उपयोग तो घटादिक व द्रव्य कर्म का निमित्तकर्ता कहा जाता है किन्तु आत्मा को उनका कर्ता क्यों नहीं कहा जाता है ? उत्तर--(१) त्रिकाली आत्मा उसका कर्ता नही है / (2) जिसको स्वभाव की दृष्टि हुई है वह ज्ञानी आत्मा योग-उपयोग और घटादिक, द्रव्यकर्म का निमित्त-नैमित्तिक भाव से भी कर्ता नही है, मात्र ज्ञाता है। इसलिए आत्मा को उनका कर्ता नहीं कहा जाता है। (3) मात्मा को ससार दगा मे अज्ञान से मात्र योग उपयोग का कर्ता कहा जा सकता है। परन्तु किसी भी आत्मा को घटादिक और द्रव्यकर्म का कर्ता तो किसी भी अपेक्षा से नहीं कहा जा सकता है। प्रश्न ३२-मैने पैरो से साइकिल चलाई, इस वाक्य में सौवीं गाथा के चार बोल समझाइये? उत्तर-प्रश्न से 13 तक के अनुसार उत्तर दो। जय महावीर जय महावीर सौ प्रश्नोत्तरो का आठवॉ अधिकार A. प्रश्न-मैं मुंह से बोला। B. प्रश्न-मुझ आत्मा और बोलने से मुंह खुला। C. प्रश्न-बोलने और मुंह खुलने से राग हुआ। . D. प्रश्न-राग, बोलना और मुंह खुलने से ज्ञान हुआ।