________________ मैंने मुंह से शब्द बोला का चार्ट ध्यान से देखो महरूप भाषावर्गणा त्रिकाली उपादान ज्ञान गुण चारित्र गुण आहारवर्गणा कारण स्कध | marm mr m>>3095 | warm surya 079 अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण 10 / (कार्य) उपादेय नैमित्तिक जान हुआ | राग हुआ मुह हिला | शब्द हुआ - - - प्रत्यक्ष परोक्ष का ही भेद है इतना विशेष जानना चाहिए कि केवलज्ञानी तो साक्षात् शुद्धात्म स्वरूप ही है और श्रु तज्ञानी भी शुद्धनय के अवलम्बन से आत्मा को | ऐसा ही अनुभव करते हैं / प्रत्यक्ष और परोक्ष का ही भेद है। [ समयसार (गाथा 320 के भावार्थ से) ] -