________________ ( 166 ) वना—यह पर द्रव्य की क्रिया है। अज्ञानी का योग और उपयोग पर द्रव्य की पर्याय का निमित्त-नैमित्तिक भाव से कर्ता बनता है। है नही। चार्ट को देखो त्रिकाली उपादान कुम्हार का | आहारवर्गणा | मिट्टी चारित्र गुण | के स्कध - our Mur 9 16 m<wwml Mar me srur 9 - अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण | } उस समय पर्याय की योग्यता | क्षणिक उपादान कारण (कार्य) उपादेय कुम्हार का | हाय आदि क्रिया / घडा वना राग यह तीनो स्वतन्त्र रूप से परिणमन करते हुए अपने-अपने क्रम काल मे 10 नम्बर पर आये। अज्ञानी कुम्हार को इसका पता पहा है। इसलिए कुम्हार का योग मोर उपयोग घड़े की पर्याय का निमित्तनैमित्तिक भाव से कर्ता वनता है। प्रश्न ८-अज्ञानी कुम्हार घड़े की पर्याय का निमिरा-ता.