________________ का प्रसग उपस्थित होवेगा अर्थात् उसका ससार तीनो काल कायम रहेगा, (2) निमित्त-नैमित्तिक दो द्रव्यो की स्वतन्त्र पर्यायो के बीच मे होता है। द्रव्य-गुण के बीच मे निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध नही होता है। दूसरा वोल द्रव्य की अपेक्षा से है। इसलिए कुम्हार निमित्त नही प्रश्न ६-हम द्रव्य-गुण में निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध नहीं मानते हैं। इसलिये आपको वात ठीक है। परन्तु घड़ा बना नैमित्तिक और कुम्हार का उस समय राग निमित्त तो है ना ? उत्तर--(१) निमित्त तो है, परन्तु अज्ञानी निमित्त कता मानता है / निमित्त कर्ता मानने से जब-जव घडा बने तो कुम्हार को उपस्थित रहना पडेगा। वह कभी अपने बाल-बच्चो को भी ना खिला सकेगा, स्वर्ग-मोक्ष मे भी ना जा सकेगा। उसका ससार तीनो काल कायम रहेगा। (2) जैसे गाय का माँस निकला हो तो कौव्वा वही पर बैठता है, उसी प्रकार अज्ञानी की दृष्टि निमित्तकर्ता पर ही रहती है, (3) वास्तव मे अज्ञानी पर्याय मे निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध शास्त्र के आधार से कहता है उसकी बुद्धि मे कर्ता-कर्म वैठा है। इसलिए कहता है कि एक समय का निमित्त तो है ना। प्रश्न ७-हमारी दृष्टि मे कुछ बैठा हो हम तो यह पूछते हैं कि घड़ा बना नैमित्तिक और कुम्हार का उस समय का राग निमित्त है ना? उत्तर-जैसे-घडा बना 10 नम्बर पर, कुम्हार का राग भी 10 नम्बर पर, हाथ आदि क्रिया भी 10 नम्बर पर, यह तीनो अलगअलग द्रव्यो की स्वतन्त्र क्रियाये है। अज्ञानी को इनकी स्वतत्रता का पता नहीं हैं। (1) यहाँ पर कुम्हार के ज्ञान का कषायो के साथ जुडना -~-उसे उपयोग कहा / (2) और हाथ आदि की क्रिया का मन-वचनकाय के निमित्त से आत्म प्रदेशो का चलन-वह योग है। (3) घडा /