________________ ( 164 ) प्रश्न १७-कोई कहे, वायु का चलना व्यापक और समुद्र मे लहर उठी व्याप्य, तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-समुद्र के नष्ट होने का प्रसग उपस्थित होवेगा और वायु का चलना नष्ट होकर समुद्र बन जाने का प्रसग उपस्थित होवेगा। क्योकि व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध एक द्रव्य का उसकी पर्याय मे होता है भिन्न-भिन्न द्रव्यो की पर्यायो मे नही होता है / प्रश्न १५-क्या वायु का न चलना व्यापक और तरंग न उठी व्याप्य, ठीक है? उत्तर-बिल्कुल नही, क्योकि समुद्र मे लहर न उठी व्याप्य और समुद्र व्यापक है। प्रश्न १६-कोई कहे, हवा ना चली व्यापक और तरंग ना उठी व्याप्य, तो क्या दोष आवेगा? उत्तर--समुद्र के नष्ट होने का प्रसग उपस्थित होवेगा और वायु का नाश होकर समुद्र बन जाने का प्रसग उपस्थित होवेगा, लेकिन व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध एक द्रव्य का उसकी पर्याय मे होता है भिन्नभिन्न द्रव्यो की पर्यायो मे नही होता है / प्रश्न २०-विकारी भाव अहेतुक है या सहेतुक है ? उत्तर-वास्तव मे विकारी भाव अहेतुक है, क्योकि प्रत्येक द्रव्य का परिणमन स्वतत्र है / और विकारी पर्याय के समय निमित्त होता है इस अपेक्षा सहेतुक है। प्रश्न २१-विकारी भाव अहेतुक है या सहेतुक, इसमें कोई दूसरी और भी अपेक्षा है ? उत्तर-(१) विकारी भाव आत्मा स्वतन्त्र रूप से करता है वह अपना हेतु है इस अपेक्षा सहेतुक है। और कर्म सच्चा हेतु नही है इस अपेक्षा अहेतुक है। प्रश्न २२-तुम विकारी भाव को आत्मा का स्वभाव कहते हो