________________ ( 160 ) उत्तर-मोह के आवेश से उन इन्द्रियो के द्वारा विषय ग्रहण करने की इच्छा होती है। और उन विषयो का ग्रहण होने पर, उस इच्छा के मिटने से, निराकुल होता है तब आनन्द मानता है। जैसे--कुत्ता हड्डी चबाता है उससे अपना लोहू निकले, उसका स्वाद लेकर ऐसा मानता है कि यह हडिडयो का स्वाद है। उसी प्रकार यह जीव विषयो को जानता है उससे अपना ज्ञान प्रवर्तता है, उसका स्वाद लेकर ऐसा मानता है कि यह विषय का स्वाद है। सो विषय मे तो स्वाद है नही। स्वय ही इच्छा की थी, उसे स्वय ही जानकर, स्वय ही आनन्द मान "लिया, परन्तु मैं अनादि-अनन्त ज्ञानस्वरूप आत्मा हूँ-ऐसा नि केवलज्ञान का (पर से भिन्न अपनी आत्मा का) तो अनुभवन है नही / प्रश्न ८७-~~'मैं सुबह उठा' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये? प्रश्न ८८-'मैं बोला' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये? प्रश्न ८६-'मैंने रोटी खाई इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये ? प्रश्न ६०-'मैंने रुपया कमाया' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये? प्रश्न ६१-'मैने जीवो की रक्षा की' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये ? प्रश्न ६२–'मै बीमार हूँ' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये ? प्रश्न ६३--'मैं शास्त्र प्रवचन करता हूँ' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये ? प्रश्न ९४-'मैं कपड़े घोता हूँ' इस वाक्य को प्रश्न 86 के उत्तर अनुसार समझाइये?