________________ ( 159 ) विपरीत मान्यताओ मे पागल बना रहता है। जिसका फल परम्परा निगोद है। प्रश्न ७८–अज्ञानी दुःखी क्यो है ? उत्तर-जड की क्रिया अपनी मानने के कारण ही दुखी है। प्रश्न ७६-ज्ञानी सुखी क्यो है ? उत्तर-जड की क्रिया अपनी न मानने के कारण ही सुखी है। अपनी जान किया है ऐसी श्रद्धा-ज्ञान होने से ही ज्ञानी सुखी है। प्रश्न ८०-जितना जड का कार्य है। क्या उसका कर्ता-कर्म और भोक्ता-भोग्य सर्वथा जड ही है ? उत्तर-हाँ, भाई जड का कता-कर्म, भोक्ता-भोग्य सर्वथा जड ही हैं जीव नही है। प्रश्न ८१-क्या अज्ञानी जड के कार्य में निमित्त भी नहीं है ? उत्तर-अज्ञानी जड के कार्य मे निमित्त भी नही है। परन्तु जड के कार्य में करता हूँ ऐसी मान्यता होने से दुखी है। प्रश्न ८२-क्या जड के कार्य मे ज्ञानी का निमित्त-नैमित्तिकपना नहीं है ? उत्तर-नही है। किन्तु मात्र नेय-ज्ञायकपना व्यवहार से है। अर्थात् ज्ञान की पर्याय नैमित्तिक और जड पदार्थ की पर्याय निमित्त है। प्रश्न ८३-'मै बक्से को उठाकर लाया' इस वाक्य मे उत्तर- प्रश्न 73 से 82 तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ८४–'मैं कपडे पहनता हूँ इस वाक्य मे उत्तर-प्रश्न 73 से 82 तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न =५-'मैंने कपडा खरीदा' इस वाक्य मे उत्तर--प्रश्न 73 से 82 तक के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न ८६-मोक्षमार्ग प्रकाशक के तीसरे अधिकार में निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध के विषय मे क्या बताया है ?