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________________ ( १४४ ) कैसे हो सकता है। सेठ ने खानदान की एक सुन्दर लडकी से उसकी सगाई कर दी। लडका कहता है कि मुझे शादी नही करनी है, क्योकि मैं उसका मुह देखूगा, तो अन्धा हो जाऊँगा। तब सेठ ने लडकी वालो को बुलाकर कहा कि हमारे यहाँ लडके की आँख पर पट्टी वाँध कर फेरे होते है ऐसा रिवाज है। ___लडकी वाला राजी हो गया और शादी हो गई। लडका घर मे आँखो पर पट्टी बाँधकर आवे, तुरन्त चला जावे। लडकी होशियार थी उसे पता चल गया, मेरा पति वेश्या-गामी है तथा वेश्या ने उसे कहा है तू उसका मुह देखेगा तो अन्धा हो जावेगा। एक दिन लडकी ने अपने पति का हाथ पकडकर कहा, आपको मालूम है कि आप मुझे देखे तो अन्धे हो जावोगे। आप मेरे कहे से एक आँख पर पट्टी बँधी रहने दो और एक आँख से मुझे देख लो। तो उसने ऐसा ही किया, तो देखा आँख तो फूटी नही। तब उसने कहा अब दूसरी पर पट्टी बाँध लो और अब दूसरी आँख से मुझे देखो तव वह भी नही फूटी, तब उसने कहा अब दोनो आँखो से मुझे देखो, तो उसने जब दोनो पट्टियो को उठाकर देखा तो आँखे फूटी नही, और तब वेश्या पर से दृष्टि उठ गई, उसी प्रकार सोनगढ का निश्चय तो ठोक है तो भाई वहाँ जाकर देख, कसा व्यवहार सोनगढ मे है लाखो रुपयो का दान होता है, नाम कोई लिखाता नहीं । दो वार प्रवचन, पूजा भक्ति होती है वह देख । कन्दमूल कोई खाता नही, रात्रि को पानी पीते नही । ज्यादातर पति-पत्नि ब्रह्मचर्य से रहते है। ६० के करीब बहिने आजन्म ब्रह्मचर्य से रहती है। इसलिए हे भाई । निश्चय तो सोनगढ से सीखना पडेगा, परन्तु व्यवहार भी सोनगढ से सीखना पडेगा । जहाँ पर व्यवहार को हेय कहा जाता है । देखो, वहाँ का व्यवहार कैसा है। इसलिए सोनगढ की निश्चय की बात ठीक है और व्यवहार की बात ठीक नही है यह बात बिल्कुल झूठ है । प्रश्न'५८-निमित्त कर्ता से क्या तात्पर्य है ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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