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( १४५ ) उत्तर-इसने ऐसा किया तो ऐसा हुआ। ऐसी मान्यता होना यह निमित्तकर्ता से तात्पर्य है।
प्रश्न ५६-निमित्त कर्ता के प्रश्न उठाकर समझाइये?
उत्तर-(१) मैंने शुभभाव किया तो जीव वच गया। (२) मैंने अशुभभाव किया तो जीव मर गया। (३) मैंने गाली दो तो उसे क्रोध आया। (४) जीव ने विकार किया तो कर्म वध हआ। मैने भाव किये तो ऐसे-ऐसे कार्य हुए आदि निमित्तकर्ता के उदाहरण हैं।
प्रश्न ६०-निमित्तकर्ता मानने का क्या फल है ?
उत्तर-चारो गतियो मे घूमकर निगोद निमित्तकर्ता मानने का फल है।
जय महावीर-जय महावीर
निमित्त-नमित्तिक पांचवॉ अधिकार
प्रश्न १-निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध किसे कहते हैं ?
उत्तर-जब उपादान स्वय स्वत कार्यरूप परिणमिन होता है। तब भावरूप (अस्तिरूप) या अभावरूप (नास्ति रूप) किस उचित (योग्य) निमित्तकारण का उसके साथ सम्बन्ध है। यह बतलाने के लिए उस कार्य को नैमित्तिक कहते हैं। इस प्रकार भिन्न-भिन्न पदार्थों के स्वतन्त्र सम्बन्ध को निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध कहते है।
प्रश्न २-निमित्त-नैमित्तिक संबंध किसमें होता है ?
उत्तर-निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध दो स्वतन्त्र पर्यायो के बीच में होता है।