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(५) ध्वनि (६) छाया (७) मिथ्यादर्शन (८) मिथ्याज्ञान ( ९ ) मिथ्याचारित्र (१०) क्रोध (११) लोभ (१२) दया (१३) दान का भाव आदि का I कर्ता कौन है ? II कर्ता कौन नहीं है ? III यह क्या है ? IV पर्याय को कब माना ? V और पर्याय को कब नहीं माना ?
I मतिज्ञान का कर्ता ग्रात्मा का ज्ञान गुण है, II श्रौर कोई दूसरा गुण कर्म या विकार नहीं है, III यह पर्याय है IV ज्ञान गुरण में से श्राया तब पर्याय को माना V कहीं और से माने तो पर्याय को नहीं माना बाकी १२ का उत्तर इसी प्रकार दो ।
उ०
प्र ० ६१. जीव द्रव्य की पर्याय कितनी
बड़ी है ?
जितना बड़ा जीव द्रव्य है उतनी ही बड़ी उसकी पर्याय है । अर्थात् संख्ययात प्रदेशी ग्रात्मा है और असंख्यात प्रदेशी उसके गुण श्रौर पर्याय हैं ।
उ०
प्रo ६२. प्रत्येक द्रव्य की पर्याय कितनी बड़ी है और क्यों है ?
उ०
जितना बड़ा द्रव्य है उतनी ही बड़ी पर्याय है क्योंकि पर्याय भी द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में होती है ।
० ६३. प्रत्येक पर्याय की स्थिति कितनी है ?
उ०
कोई भी पर्याय हो उसकी स्थिति एक समय मात्र ही होती है ।
प्र ० ६४. १- शक्कर २ बर्फ ३- अन्धेरा ४- उजाला ५- - समोशरण ६- बादलों में रंग का बदलना ७- मेघ गर्जना स्याही प्रतिविम्व यह क्या है ?
६- शीशे का
उ०
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१- शक्कर:- पुद्गल द्रव्य के रस गुरण की विभाव अर्थ पर्याय है। २- बर्फ :- पुद्गल द्रव्य के स्पर्श गुग्गा की ठंडी विभाव अर्थ