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( ० ) पर्याय कहते हैं इसलिये प्रदेशत्व गुण के परिणमन को छोड़ कर बाकी जितने गुण हैं उतनी अर्थ पर्याय हैं इसलिए अर्थ पर्याय अनेक हैं। प्र. ३८. तुम्हारे प्रात्मा में व्यंजन पर्याय कितनी होती है और अर्थ पर्याय
कितनी ? उ० मेरी आत्मा में व्यंजन पर्याय एक और अर्थ पर्यायें अनेक हैं। प्र० ३६. किताब में अर्थ पर्याय कितनी और व्यंजन पर्याय कितनी हैं ? उ० किताव परमाणुओं की समानजाति द्रव्य पर्यायें है इसलिये किताब में जितने परमाणु हैं उतनी व्यंजन पर्याय हैं और एक २ परमाणु में अनेक अनेक अर्थ पर्याय हैं। प्र० ४०. जीव द्रव्य में विभाव व्यंजन पर्याय कहाँ तक होती हैं ? उ. १४वें गुणस्थान तक विभाव व्यंजन पर्याय होती है । प्र० ४१. सादि अनन्त स्वभाव व्यंजन पर्याय किस द्रव्य में होती है ? उ0 सिद्ध दशा में सादि अनन्त स्वभाव व्यंजन पर्याय जीव में होती
प्र. ४२. स्वभाव व्यंजन पर्याय में अन्तर और स्वभाव अर्थ पर्याय में
समानता , क्या कभी ऐसा होता है ? उ सिद्ध दशा में आकार अलग अलग अर्थात किसी का सात हाथ, किसी का ५०० धनुष होने से स्वभाव व्यंजन पर्याय में अन्तर होता है और स्वभाव अर्थ पर्याय में समानता होती है ।। प्र० ४३. स्वभाव व्यंजन पर्याय में समानता और स्वभाव अर्थ पर्याय मैं
अन्तर होता हो क्या ऐसा कभी होता है ? उ० परमाणु में सबका आकार एक प्रदेशी होने से स्वभाव ब्लॉजन