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________________ ( ७६ ) स्वभाव व्यंजन पर्याय और स्वभाव अर्थ पर्याय ही होती है । उ० प्र० ३०. स्कंध दशा में कौन २ सी पर्यायें होती हैं ? उ० विभाव व्यंजन और विभाव अर्थ पर्यायें ही होती हैं । प्र० ३१. जैसे ग्रात्मा में चौथे गुणस्थान से स्वभाव अर्थ पर्याय, विभाव अर्थ पर्याय में अन्तर हो जाता है क्या ऐसा स्कंध में नहीं होता है ? 30 स्कंध में नहीं होता है | प्र० ३२. चारों प्रकार की पर्यायें किस द्रव्य में संभव है ? जीव और पुद्गल में ही संभव है बाकी में नहीं । उ० उ० प्र ० ३३. धर्म अधर्म ग्राकाश और काल में कौन २ सी पर्याय होती हैं ? स्वभाव व्यंजन पर्याय और स्वभाव अर्थ पर्यायें हो ग्रनादि अनन्त होती रहती हैं इनमें कभी विभाव होती ही नहीं हैं । प्र० ३४. द्रव्यलिंगी मुनि को कौन सी पर्याय होती हैं ? विभाव व्यंजन और विभाव अर्थ पर्याय ही होती हैं । उ० उ० प्र० ३५. प्रत्येक द्रव्य में व्यंजन पर्याय कितनी और अर्थ पर्याय कितनी ? प्रत्येक द्रव्य में व्यंजन पर्याय एक ही होती है और अर्थ पर्यायें अनेक ही होती हैं । प्र० ३६. प्रत्येक द्रव्य में व्यंजन पर्याय एक क्यों है ? उ० प्रत्येक द्रव्य में प्रदेशत्व गुण एक ही है उसके परिगमन को व्यंजन पर्याय कहते हैं इसलिये प्रत्येक द्रव्य में व्यंजन पर्याय एक एक ही है । प्र० ३७. अर्थ पर्याय अनेक क्यों हैं ? उ० प्रदेशत्व गुण को छोड़कर बाकी गुणों के परिणमन को अर्थ
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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