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________________ ( ७७ ) उ. व्यंजन पर्याय और अर्थ पर्याय यह दो भेद हैं । प्र० १६. व्यंजन पर्याय किसे कहते हैं ? उ० द्रव्य के प्रदेशत्व गुण के विशेष कार्य को व्यंजन पर्याय कहते प्र० १७. अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ? उ० प्रदेशत्व गुण के अतिरिक्त शेष सम्पूर्ण गुणों के विशेष कार्य को अर्थ पर्याय कहते हैं। प्र० १८. व्यंजन पर्याय के कितने भेद हैं ? उ. दो भेद हैं । स्वभाव व्यंजन पर्याय और विभाव व्यंजन पर्याय प्र० १६. स्वभाव व्यंजन पर्याय किसे कहते हैं ? उ० पर द्रव्य के संबध रहित द्रव्य का जो प्राकार हो उसे स्वभाव व्यंजन पर्याय कहते हैं । जैसे सिद्ध भगवान का प्राकार और परमाणु का आकार स्वभाव व्यंजन पर्याय है । प्र० २०. विभाव व्यंजन पर्याय किसे कहते है ? उ० पर निमित्त के संबंध वाले द्रव्य का जो प्राकार हो उसे विभाव व्यंजन पर्याय कहते हैं । जैसे जीव की नर-नारकादि पर्याय । प्र. २१. अर्थ पर्याय के कितने भेद हैं ? उ. दो भेद हैं-स्वभाव अर्थ पर्याय और विभाव अर्थ पर्याय । प्र. २२. स्वभाव अर्थ पर्याय किसे कहते हैं ? पर निमित्त के संबंध रहित जो अर्थ पर्याय होती है उसे स्वभाव अर्थ पर्याय कहते हैं जैसे जीव का केवलज्ञान, क्षायिक सम्यग्दर्शन आदि । उ०
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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