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( ७५ ) कारण वर्गणा का कार्य है । ऐसा ज्ञान वर्ते तो पर्याय को माना कहा जावेगा।
और कोई ज्ञानावर्णी के अभाव से ही केवल ज्ञान होता है ऐसा माने तो उसने गुणों के विशेष कार्य को पर्याय कहते हैं, नहीं माना।
इसी प्रकार : वाक्यों में जबानी लगाकर बतायो । प्र. ४. पर्याय का सच्चा ज्ञान हो, तो क्या हो ? उ० पर से मेरी पर्याय आती है - ऐसी खोटी बुद्धि का अभाव होकर सम्यक्त्व की प्राप्ति हो जाती है । पर्याय का सच्चा ज्ञान सम्यग्दृष्टि को ही होता है, मिथ्यादृष्टि को नहीं।। प्र० ५. पर्याय के कितने भेद हैं ? उ० व्यंजन पर्याय और अर्थ पर्याय यह दो भेद हैं। प्र० ६. पर्याय किससे होती है ?
द्रव्य और गुणों से पर्याय होती है। प्र० ७. द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? उ० अनेक द्रव्यों में एकपने का ज्ञान होना द्रव्य पर्याय है । प्र० ८. द्रव्य पर्याय के कितने भेद होते हैं ? उ० दो भेद हैं। (१) समानजाति द्रव्य पर्याय (२) असमानजाति
द्रव्य पर्याय । प्र० ६. समान जाति द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ? उ० एक जाति के अनेक द्रव्यों में एकपने का ज्ञान समानजाति
द्रव्य पर्याय है। प्र. १०. असमानजाति द्रव्य पर्याय किसे कहते हैं ?