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प्र० ८.
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प्र० ६.
उ०
उ०
( ६७ )
(२) जितना बड़ा गुरण है उतना ही बड़ा क्षेत्र (स्थान) द्रव्य का है ।
गुरण की व्याख्या में "सम्पूर्ण अवस्थाओं में" क्या सूचित करता है ?
(१) गुरण द्रव्य से कभी भी, किसी भी समय पृथक नहीं होता है ।
(२) गुरण और द्रव्य दोनों अनादि अनन्त हैं ।
प्र० १०. द्रव्य पहले या गुरण पहले ?
गुण की व्याख्या को द्रव्य क्षेत्र काल भाव में बांटो ? (१) जो द्रव्य ........ .. यह द्रव्य को सूचित करता है । (२) सम्पूर्ण भागों मैं.. .. यह क्षेत्र को सूचित करता है ।
(३) सम्पूर्ण अवस्थाओं में.. (४) उसको गुरण कहते हैं ..
. यह काल को सूचित करता है । . यह भाव को सूचित करता है ।
उ०
दोनों एक साथ प्रर्थात् प्रनादि अनन्त हैं ।
प्र० ११. द्रव्य में गुरण किस प्रकार हैं ?
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जैसे गुड़ में मिठास, पानी में ठन्डक और अग्नि में उष्णता । है उसी प्रकार द्रव्य में गुण है ।
प्र० १२. द्रव्य में गुरण किस प्रकार नहीं है ? जैसे घड़े में बेर हैं उस प्रकार नहीं हैं ।
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प्र० १३. द्रव्य के पूरे हिस्से और सब हालतों में रहने वाले कौन हैं ? उसके गुण ।
प्र० १४. जिस प्रकार माचिस में सींक हैं उसीप्रकार द्रव्य में गुण हैं ना ?