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प्र० ५३. क्या शुभ भावों से निगोद की प्राप्ति होती है ?
उ०
नहीं ! शुभ भाव पुण्यबंध का कारण है । और शुभ भाव से मुझे मोक्ष मिलेगा, ऐसा माने तो निगोद की प्राप्ति होती है । प्र० ५४. विश्व में ऐसा कौन सा द्रव्य है जिसमें गुरण न हो ? उ० जिसमें गुण न हो ऐसा द्रव्य विश्व में है ही नहीं । प्र० ५५. गुणों को कौन नहीं मानता ?
उ० श्वेताम्बर ।
है ?
प्र० ५६. द्रव्य गुणा वेद रूप हैं या प्रद भेद रूप भी हैं और प्रभेद रूप भी हैं । प्र० ५७. द्रव्य गुणा भेद रूप कैसे हैं ?
उ
उ०
प्र० ५८. द्रव्य गुण प्रभेद रूप कैसे हैं ?
प्रदेशों की ग्रांक्षा, क्षेत्र की
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उ०
सज्ञा संख्या लक्षण प्रयोजन की अपेक्षा भेद रूप है ।
है ।
अपेक्षा और काल की अपेक्षा प्रभेद
प्र० ५६. द्रव्य, गुण, 'संना' अपेक्षा भेद रूप कैसे है ?
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उ. एक नाम द्रव्य है दूसरे नाम गुग्गा हैं । यह संज्ञा भेद रूप है । प्र० ६०. द्रव्य, गुण, संख्या अपेक्षा भेद रूप कैसे है ? द्रव्य एक है गुगण अनेक हैं यह संख्या भेद रूप है । प्र० ६१. द्रव्य गुण लक्षरण की अपेक्षा भेद रूप कैसे हैं ? उ० (१) गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं ।
(२) द्रव्य के सम्पूर्ण भागों में और सम्पूर्ण अवस्थामों में रहता है उसको गुण कहते हैं । यह लक्षण भेद रूप है ।
प्र. ६२. छह द्रव्यों को दो-दो भेद रूप में बांटो ।