________________
( ६. ) बन्द कर दिया वैसे ही द्रव्य में गुण हैं ना ?
जैसे एक बोरे में गेई भर दिया वैसे ही द्रव्य में गुग है ना? (४) जैसे एक थैले में चाय न भरकर उसका मुह बन्द कर दिया
वैसे ही द्रव्य में गुग हैं ना ? (५) एक किताब में ५०० पत्र हैं उसी प्रकार द्रव्य में गुण है ना (६) जैसे एक कमरे में अनेक चीजें भरी हैं वैसे ही द्रव्य गगा
हैं ना ? (७) जैसे कमरे में गरमी भर दी उसी प्रकार द्रव्य में गण
हैं ना ? (५) जैसे इस कमरे में अनन्त जीव अनान्तनन्त पुद्गल और
कालाणु भरे हैं उसी प्रकार द्रव्य में गुगा है ना ?
(8) जैसे थैली में जेबर पर हैं उसी प्रकार द्रव्य में गगा हैं ना ? उ० इन सबका उत्तर प्रश्न ४६ के अनुसार जबानी दो। प्र० ५०. नित्य तादात्म्य संबंध को कब माना ? उ० जब सम्यग्यदर्शनादि की प्राप्ति करे तब माना। प्र० ५१. नित्य तादात्म्य संबंध को कर्ता-कर्म अधिकार समयसार में बिस नाम से कहा है ? और उसका फल क्या बताया ? उ० तादात्म्य सिद्ध संबंध बताया है उसका फल मस्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र की प्राप्ति कहा है। प्र. ५२. विकारी भावों को कर्ताकर्म में किस नाम से कहा है, और उसका फल क्या बताया है ? उ० विकारी भावों के संबंध को संयोग सिद्ध संबंध नाम बताया है उसका फल मिथ्यादर्शनादि की प्राप्ति कहा है ?