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________________ ( ५६ ) और धर्म की शुरूआत वृद्धि और पूर्णता होती है इसलिए इसकी महिमा बताई है । और पर और विकार की महिमा करने से निगोद की प्राप्ति होती है । प्र० ४६. 'गुणों का समूह' वह द्रव्य है सो द्रव्य में गुरण किस प्रकार रहते हैं ? उ० जैसे चीनी में मिठास, अग्नि में उष्णता, सोने में पीलापन है, उसी प्रकार द्रव्य में गुण हैं । प्र० ४७. भगवान ने द्रव्य से गुणों का कैसा संबंध बताया है ? नित्य तादात्म्य संबंध बताया है । उ० प्र० ४८. जैसे घड़े में बेर है उसी प्रकार द्रव्य में गुण है ना ? बिल्कुल नहीं । उ० (१) जैसे घड़े में बेर डाले गये हैं और निकाले जा सकते हैं, उस प्रकार द्रव्य में गुग्ण डाले गये हैं और निकाले जा सकते हैं - ऐसा नहीं है । (२) बेर घड़ के सम्पूर्ण भाग में नहीं है जबकि गुरण द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में होता है । (३) बेर घड़े के सम्पूर्ण अवस्थाओं में नहीं है जबकि गुण द्रव्यी की सम्पूर्ण अवस्थाओं में रहता है । (४) घड़ा फूट जावे तो वेर निकल जावेंगें जबकि द्रव्य में से गुरण कभी निकलते नहीं, विखरते नहीं हैं । प्र० ४६. ( १ ) जैसे एक थैली में सौ रुपया के पैसा भरकर मुंह बंद कर दिया वैसे ही द्रव्य में गुण है ना ? (२) एक थैली में नमक मिर्च हल्दी आदि भरकर उसका मुंह
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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