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और धर्म की शुरूआत वृद्धि और पूर्णता होती है इसलिए इसकी महिमा बताई है । और पर और विकार की महिमा करने से निगोद की प्राप्ति होती है ।
प्र० ४६. 'गुणों का समूह' वह द्रव्य है सो द्रव्य में गुरण किस प्रकार रहते हैं ?
उ०
जैसे चीनी में मिठास, अग्नि में उष्णता, सोने में पीलापन है, उसी प्रकार द्रव्य में गुण हैं ।
प्र० ४७. भगवान ने द्रव्य से गुणों का कैसा संबंध बताया है ? नित्य तादात्म्य संबंध बताया है ।
उ०
प्र० ४८. जैसे घड़े में बेर है उसी प्रकार द्रव्य में गुण है ना ? बिल्कुल नहीं ।
उ०
(१) जैसे घड़े में बेर डाले गये हैं और निकाले जा सकते हैं, उस प्रकार द्रव्य में गुग्ण डाले गये हैं और निकाले जा सकते हैं - ऐसा नहीं है ।
(२) बेर घड़ के सम्पूर्ण भाग में नहीं है जबकि गुरण द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में होता है ।
(३) बेर घड़े के सम्पूर्ण अवस्थाओं में नहीं है जबकि गुण द्रव्यी की सम्पूर्ण अवस्थाओं में रहता है ।
(४) घड़ा फूट जावे तो वेर निकल जावेंगें जबकि द्रव्य में से गुरण कभी निकलते नहीं, विखरते नहीं हैं ।
प्र० ४६. ( १ ) जैसे एक थैली में सौ रुपया के पैसा भरकर मुंह बंद कर दिया वैसे ही द्रव्य में गुण है ना ?
(२) एक थैली में नमक मिर्च हल्दी आदि भरकर उसका मुंह