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( ४४ )
प्रo २३. प्रकाश द्रव्य को चेतन कहें तो क्या दोष आता है ? असम्भव दोष आता है ।
उ०
प्र० २४. प्रकाश की विशेषता क्या है ?
(१) नित्य ( २ ) अवस्थित ( ३ ) ग्ररूपी ( ४ ) हलन चलन रहित (५) अनंत प्रदेशी ।
उ०
प्र० २५. प्रकाश को किसने बनाया है ?
आकाश अनादि अनंत है जो अनादि अनंत है उसे किसने बनाया यह प्रश्न मूर्खता भरा है ।
उ०
प्र० २६. लोकाकाश के प्रसंख्यात प्रदेश है, उसमें (लोकाकाश में) अनंत जीव, जीव से अनन्त गुरगा पुद्गल द्रव्य, एक एक धर्म अधर्म द्रव्य और असंख्य काल द्रव्य रहते हैं । तब अल्प प्रमाण वाले लोककाश में इतने अनन्त द्रव्य कैसे रह सकते हैं ?
उ०
(१) जैसे एक दीपक के प्रकाश में अनंत दीपकों का प्रकाश सभा जाता है |
(२) गूढ़ रस से भरा हुआ शीशे के बर्तन में बहुत सा सोना रह सकता है;
में
(३) दूध से भरे हुए घड़े
उतने ही प्रमाण में राख और
सुईयां समा जाती हैं, उसी प्रकार लोकाकाश के विशिष्ट अवकाश दान शक्ति से अनन्त द्रव्य भी लोकाकाश में समा
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जाते हैं इस में कोई बाधा नहीं आती है ।
प्र० २७. लोकाकाश का लक्षण असंख्यात प्रदेशी कहें तो क्या दोष श्राता
है ।
उ०
प्रतिव्याप्ति दोष आता है ।