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________________ ( ३५) उसमें उत्पाद व्यय धौव्यपना होता ही है । प्रo १६. क्या धर्म द्रव्य गमन करता है ? नहीं करता क्योंकि इसमें कियावती यति नहीं है और ग्रनादि अनन्त स्थिर है | उ० प्र० २०. धर्म द्रव्य स्वयं गमन नहीं करता परन्तु जीव पुद्गलों को तो गमन कराता है ना ? बिलकुल नहीं, क्योंकि जो स्वयं गमन नहीं करता वह दूसरों को गमन कैसे करा सकता है ? कभी नही । उ० प्र० २१. अधर्म द्रव्य जीव पुद्गलों को ठहराता है ना ? बिल्कुल नहीं । परन्तु जीव पुद्गल स्वयं अपनी कियावती शक्ति के गमन रूप से स्थिर होते हैं तब उसे निमित्त कहा जाता है । उ प्र° २२. अधर्म द्रव्य चलकर स्थिर हुआ है ना ? उ० प्रo २३. धर्म द्रव्य की पहिचान क्या है ? गति हेतुत्व इत्यादि । उ प्र० २४. अधर्म द्रव्य की पहिचान क्या है ? स्थितिहेतुत्व इत्यादि । प्र० २५. धर्म और अधर्म द्रव्य में क्या अन्तर है ? (१) दोनों स्वतंत्र द्रव्य हैं । (२) धर्म द्रव्य गति में निमित्त है और धर्म द्रव्य स्थिति में निमित्त है । उ० विल्कुल नहीं, अधर्म द्रव्य तो ग्रनादि ग्रनन्त स्थिर ही है । उ० प्र० २६. लोक अलोक का विभाग किससे होता है ? धर्म अधर्म द्रव्यों से । उ०
SR No.010116
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages219
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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