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उसमें उत्पाद व्यय धौव्यपना होता ही है ।
प्रo १६. क्या धर्म द्रव्य गमन करता है ?
नहीं करता क्योंकि इसमें कियावती यति नहीं है और ग्रनादि अनन्त स्थिर है |
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प्र० २०. धर्म द्रव्य स्वयं गमन नहीं करता परन्तु जीव पुद्गलों को तो गमन कराता है ना ?
बिलकुल नहीं, क्योंकि जो स्वयं गमन नहीं करता वह दूसरों को गमन कैसे करा सकता है ? कभी नही ।
उ०
प्र० २१. अधर्म द्रव्य जीव पुद्गलों को ठहराता है ना ?
बिल्कुल नहीं । परन्तु जीव पुद्गल स्वयं अपनी कियावती शक्ति के गमन रूप से स्थिर होते हैं तब उसे निमित्त कहा जाता है ।
उ
प्र° २२. अधर्म द्रव्य चलकर स्थिर हुआ है ना ?
उ०
प्रo २३. धर्म द्रव्य की पहिचान क्या है ? गति हेतुत्व इत्यादि ।
उ
प्र० २४. अधर्म द्रव्य की पहिचान क्या है ? स्थितिहेतुत्व इत्यादि ।
प्र० २५. धर्म और अधर्म द्रव्य में क्या अन्तर है ?
(१) दोनों स्वतंत्र द्रव्य हैं । (२) धर्म द्रव्य गति में निमित्त है और धर्म द्रव्य स्थिति में निमित्त है ।
उ०
विल्कुल नहीं, अधर्म द्रव्य तो ग्रनादि ग्रनन्त स्थिर ही है ।
उ०
प्र० २६. लोक अलोक का विभाग किससे होता है ? धर्म अधर्म द्रव्यों से ।
उ०