________________
पाठ ५
धर्म द्रव्य और अधर्म द्रव्य
प्र० १.
धम द्रव्य किसे कहते है ?
उ०
जो स्वयं गमन करते हुए जीव और पुद्गलों को गमन करने में निमित्त हो उसे धर्म द्रव्य कहते हैं। जैसे गमन करती हुई मछली को गमन करने में पानी |
प्र ० २.
अधर्म द्रव्य किसे कहते हैं ?
30
स्वयं गति पूर्वक स्थिति रूप परिगणने ऐसे जीव और पुद्गलों को ठहरने में जो निमित्त हो उसे प्रथमं द्रव्य कहते हैं। जैसे पथिक को ठहरने के लिए वृक्ष की छाया ।
प्र० ३.
अवमं द्रव्य की परिभाषा में 'गतिपुर्वक स्थिति करे उसे अधर्म द्रव्य निमित्त है, यदि 'गतिपूर्वक' शब्द निकाल दें तो क्या हानि होगी । यदि हम 'गतिपूर्वक' शब्द निकाल दें तो सदैव स्थिर रहने वाले धर्म अधर्म काल और स्वयं प्रथमं द्रव्य को भी स्थिति में अधर्म द्रव्य के निमित्तपने का प्रसंग उपस्थित होवेगा, मो गलत है ।
उ०
प्र० ४. धर्म अर्थात् पुण्य और अवमं अर्थात् पाप, ऐसा है ना ?
पुण्य पाप से यहां मतलब नहीं है यहाँ पर तो धर्म और अधर्म द्रव्य नाम के स्वतन्त्र द्रव्य हैं उनमे तात्पर्य है ।
प्र० ५. धर्म द्रव्य ही जीव पुद्गलों को चलाता है ना ?
उ०
उ०
बिल्कुल नहीं । जीव पुद्गल अपनी २ क्रियावती शक्ति के गमन